Shikha Arora

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लेखनी कविता -08-Mar-2022 वार्षिक प्रतियोगिता हेतु - विदाई


बिटिया मेरी वीणा की झंकार में तुम हो, 
मेरे दिल की हर धड़कन में तुम हो |
तुमको पाकर दुनिया की दौलत पाई , 
छोटे से संसार में मेरे तुम हो समाई |
एक कांटा भी अगर तुझे चुभा था , 
दिल मेरा तब छलनी हुआ था |
आंखों में तेरे आए आंसू देख कर, 
नीर मेरे अश्कों से भी बहा था |
देखो आखिर कैसी हैं यह विडंबना? 
लड़की को पड़ता हैं अपना घर छोड़ना |
रोशन करना अपने माता पिता का नाम, 
परछाई हो मेरी सबके दिलों पर करना राज |
पिया की जीवनसंगिनी बनकर तुमको , 
लाडो तुम सदा ही हंसना मुस्कुराना |
माना थोड़ा वक्त लगेगा समझने में, 
इत्र जैसे रम तुम जाना पिया के मन में |
मेहंदी रचे इन हाथों से संभालो नया संसार ,
प्रेम भरा रहे सबसे सदा तुम्हारा व्यवहार |
दुआ है मेरी मिले सभी का प्यार तुम्हें , 
बना रहे सुहाग सदा, जीवन हो खुशहाल|
कितना कुछ है दिल में मेरे आज , 
पर अपने शब्दों को पा रही मोहताज |
तुमने मेरे आंगन को किया हैं गुलजार , 
रोशन तुम्हें अब करना सजना का घर द्वार |
जिंदगी में मुश्किलें आए तो तुम्हें ढाल बनना होगा , 
संयम, त्याग और प्रेम के साथ चलना होगा |
कभी भी खुद को अकेला न समझना तुम ,
तुम्हारे साथ खड़ा सदा तुम्हारा परिवार होगा ||

वार्षिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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2 Comments

Lotus🙂

10-Mar-2022 01:57 PM

Nice

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Gunjan Kamal

09-Mar-2022 12:57 AM

बहुत खूब मैम

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